धरà¥à¤® के अनà¥à¤¶à¤¾à¤¸à¤¨ बिना विजà¥à¤žà¤¾à¤¨ मानव जीवन के लिठअहितकारी
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Manmohan Kumar AryaDate
02-Feb-2016Language
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UmeshUpload Date
03-Feb-2016Download PDF
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आजकल विजà¥à¤žà¤¾à¤¨ की उनà¥à¤¨à¤¤à¤¿ ने सबको आशà¥à¤šà¤°à¥à¤¯à¤¾à¤¨à¥à¤µà¤¿à¤¤ कर रखा है। दिन पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤¦à¤¿à¤¨ नये नये बहà¥à¤ªà¤¯à¥‹à¤—ी उतà¥à¤ªà¤¾à¤¦ हमारे जà¥à¤žà¤¾à¤¨ व दृषà¥à¤Ÿà¤¿ में आते रहते हैं। बहà¥à¤¤ कम लोग जानते होंगे कि उनकी अनेक समसà¥à¤¯à¤¯à¤¾à¤“ं का कारण à¤à¥€ विजà¥à¤žà¤¾à¤¨ व इसका दà¥à¤°à¥à¤ªà¤¯à¥‹à¤— ही है। इसका सबसे मà¥à¤–à¥à¤¯ उदाहरण तो वायà¥, जल और परà¥à¤¯à¤¾à¤µà¤°à¤£ पà¥à¤°à¤¦à¥à¤·à¤£ का है। यह पà¥à¤°à¤¦à¥à¤·à¤£ विजà¥à¤žà¤¾à¤¨ व उसके आविषà¥à¤•à¤¾à¤°à¥‹à¤‚ सहित औदà¥à¤¯à¥‹à¤—िक उतà¥à¤ªà¤¾à¤¦à¥‹à¤‚ के बिना सोचे उपà¤à¥‹à¤— के कारण व मनà¥à¤·à¥à¤¯ की दिनचरà¥à¤¯à¤¾ में आये बदलाव का परिणाम है। मनà¥à¤·à¥à¤¯ को वायॠऔर जल शà¥à¤¦à¥à¤§ न मिले तो यह अनेकानेक रोगो का उतà¥à¤ªà¤¾à¤¦à¤• होने से मनà¥à¤·à¥à¤¯à¥‹à¤‚ के सà¥à¤µà¤¾à¤¸à¥à¤¥à¥à¤¯ के लिठघातक होता है। यही आजकल सरà¥à¤µà¤¤à¥à¤° हो रहा है। इतना ही नहीं हम जो à¤à¥‹à¤œà¤¨ करते हैं उसे à¤à¥€ विजà¥à¤žà¤¾à¤¨ ने हमारे लिठअहितकार व अनेकानेक रोगों का उतà¥à¤ªà¤¾à¤¦à¤• बना दिया है जिससे मनà¥à¤·à¥à¤¯ दà¥à¤ƒà¤–ी रहते हैं और कालकवलित होते रहते हैं। आज हमें जो खादà¥à¤¯ पदारà¥à¤¥ बाजार से मिलते हैं उसमें रासायनिक खादों व कीटनाशकों के पà¥à¤°à¤¯à¥‹à¤— ने उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ सà¥à¤µà¤¾à¤¸à¥à¤¥à¥à¤¯ के अहितकर व हानिपà¥à¤°à¤¦ बना दिया है। अनेक अनà¥à¤¨à¥€à¤¯ पदारà¥à¤¥ व सबà¥à¤œà¤¿à¤¯à¤¾à¤‚ मल-मूतà¥à¤° को खाद के रूप में पà¥à¤°à¤¯à¥‹à¤— कर पैदा की जाती है जो सà¥à¤µà¤¾à¤¸à¥à¤¥à¥à¤¯ व मनोविकारों को जनà¥à¤® देती हैं। इस ओर देश व समाज का बहà¥à¤¤ कम धà¥à¤¯à¤¾à¤¨ है और विजà¥à¤žà¤¾à¤¨ à¤à¥€ चà¥à¤ª है जबकि हमारे ऋषि-मà¥à¤¨à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ को इसका जà¥à¤žà¤¾à¤¨ था और इसी कारण उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने मल-मूतà¥à¤° के संसरà¥à¤— से उतà¥à¤ªà¤¨à¥à¤¨ अनà¥à¤¨ आदि पदारà¥à¤¥à¥‹à¤‚ के सेवन को निषिदà¥à¤§ किया था। विजà¥à¤žà¤¾à¤¨ के नाम पर आज आम मनà¥à¤·à¥à¤¯ की कà¥à¤·à¤®à¤¤à¤¾ से à¤à¥€ कहीं अधिक खरà¥à¤šà¥€à¤²à¥€ चिकितà¥à¤¸à¤¾ पदà¥à¤§à¤¤à¤¿ देश में आई है जिसमें न केवल जीवन à¤à¤° की पूंजी कà¥à¤› ही दिनों छोटे-मोटे रोगों के उपचार में सà¥à¤µà¤¾à¤¹à¤¾ हो जाती है अपितॠवह करà¥à¤œà¤¦à¤¾à¤° होकर शेष जीवन नरक के समान वà¥à¤¯à¤¤à¥€à¤¤ करता है। बहà¥à¤¤ से लोग तो धनाà¤à¤¾à¤µ के कारण अपना उपचार करा ही नहीं पाते और मृतà¥à¤¯à¥ का वरण कर लेते हैं। अनेक चिकितà¥à¤¸à¤• और पैथोलोजी लैब à¤à¥€ रोगियों को सà¥à¤µà¥‡à¤šà¥à¤›à¤¾ से लूटती हैं जिसके अनेक उदाहरण सामने आ चà¥à¤•à¥‡ है और जो कम नहीं हो रहे हैं। सà¥à¤µà¤¾à¤°à¥à¤¥ के कारण कà¥à¤› व अनेक चिकितà¥à¤¸à¤• रोगियों को महंगी व कई अनावशà¥à¤¯à¤• दवायें à¤à¥€ लिख देते हैं जिसका असर रोगी की आरà¥à¤¥à¤¿à¤• सà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿ व सà¥à¤µà¤¾à¤¸à¥à¤¥à¥à¤¯ पर बà¥à¤°à¤¾ ही पड़ता है। इस ओर न तो सरकारों का धà¥à¤¯à¤¾à¤¨ है और न ही देश के नागरिक ही सचेत हैं। इस कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤° में सरकार व रोगी परिवारों के बीच किंकरà¥à¤¤à¤µà¥à¤¯à¤µà¤¿à¤®à¥‚ढ़ की सà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿ है। इसका कोई हल सामने नहीं आ रहा है। जिस पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° से संसार के विकसत व अरà¥à¤§à¤µà¤¿à¤•à¤¸à¤¿à¤¤ देश विजà¥à¤žà¤¾à¤¨ के उपयोग से नाना पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° के हानिकारक आयà¥à¤¦à¥à¤§ आदि बना रहे हैं वह à¤à¥€ मानवता की सà¥à¤–, समृदà¥à¤§à¤¿ व शानà¥à¤¤à¤¿ के उपयों के विपरीत हैं। सौà¤à¤¾à¤—à¥à¤¯ से आज योग, पà¥à¤°à¤¾à¤£à¤¾à¤¯à¤¾à¤®, आसन, वà¥à¤¯à¤¾à¤¯à¤¾à¤® व सनà¥à¤¤à¥à¤²à¤¿à¤¤ à¤à¥‹à¤œà¤¨ के पà¥à¤°à¤¤à¤¿ सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ रामदेव जी के पà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤¸à¥‹à¤‚ से जागरà¥à¤•à¤¤à¤¾ बढ़ी है। उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने कम खरà¥à¤šà¥€à¤²à¥€ आयà¥à¤°à¥à¤µà¥‡à¤¦à¤¿à¤• चिकितà¥à¤¸à¤¾ पदà¥à¤§à¤¤à¤¿ को à¤à¥€ विशà¥à¤µ सà¥à¤¤à¤° पर लोकपà¥à¤°à¤¿à¤¯ बनाया है। इसे अपनाने वाले लोग इससे लाà¤à¤¾à¤¨à¥à¤µà¤¿à¤¤ हो रहे हैं परनà¥à¤¤à¥ फिर à¤à¥€ विजà¥à¤žà¤¾à¤¨ पà¥à¤°à¤¦à¤¤à¥à¤¤ अनà¥à¤¯ साधनों से कà¥à¤² मिलाकर मनà¥à¤·à¥à¤¯à¥‹à¤‚ को नानाविध हानियां हो रही है जिस पर विदà¥à¤µà¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ व वैजà¥à¤žà¤¾à¤¨à¤¿à¤•à¥‹à¤‚ सहित सरकारों को à¤à¥€ धà¥à¤¯à¤¾à¤¨ दिये जाने की आवशà¥à¤¯à¤•à¤¤à¤¾ है। इसका पà¥à¤°à¤®à¥à¤– कारण हमें धरà¥à¤® के वासà¥à¤¤à¤µà¤¿à¤• रूप को न समà¤à¤¨à¤¾ ही जà¥à¤žà¤¾à¤¤ होता है। यदि मनà¥à¤·à¥à¤¯ धरà¥à¤® के वासà¥à¤¤à¤µà¤¿à¤• सà¥à¤µà¤°à¥‚प से परिचित होकर सतà¥à¤¯ व सरलता का पà¥à¤°à¤¾à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿à¤• व वैदिक मानà¥à¤¯à¤¤à¤¾à¤“ं के अनà¥à¤¸à¤¾à¤° जीवन वà¥à¤¯à¤¤à¥€à¤¤ करें जैसा कि उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने महाà¤à¤¾à¤°à¤¤à¤•à¤¾à¤² तक व उससे पहले वà¥à¤¯à¤¤à¥€à¤¤ किया है, तो समाज में आज की यह समसà¥à¤¯à¤¾à¤¯à¥‡à¤‚ न होती। आज à¤à¥€ यदि इस दिशा में विचार व आचरण किया जाये तो सामाजिक à¤à¤²à¤¾à¤ˆ का बहà¥à¤¤ कारà¥à¤¯ किया जा सकता है।
वैदिक धरà¥à¤® की कà¥à¤› विशेषतायें हैं जिससे अनेक समसà¥à¤¯à¤¾à¤“ं का निराकरण हो जाता है। वैदिक धरà¥à¤® मनà¥à¤·à¥à¤¯à¥‹à¤‚ को मानव जीवन के उदà¥à¤¦à¥‡à¤¶à¥à¤¯ व लकà¥à¤·à¥à¤¯ से परिचित कराता है और उन कारà¥à¤¯à¥‹à¤‚ व उपायों को करने के लिठबल देता है जिससे मनà¥à¤·à¥à¤¯ का यह जीवन व परजनà¥à¤® सà¥à¤– व शकà¥à¤¤à¤¿ का संचय कर दीरà¥à¤˜à¤¾à¤¯à¥ हो और उसे जनà¥à¤®-मरण के चकà¥à¤° से मà¥à¤•à¥à¤¤à¤¿ पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ होकर दà¥à¤ƒà¤–ों की सरà¥à¤µà¤¥à¤¾ निवृतà¥à¤¤à¤¿ वा चिरकालीन मोकà¥à¤· रूपी सà¥à¤µà¤°à¥à¤—ीय सà¥à¤–ों व आननà¥à¤¦ की पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤à¤¿ हो। वैदिक धरà¥à¤® वेदों का जà¥à¤žà¤¾à¤¨ पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ कर उसके अनà¥à¤¸à¤¾à¤° आचरण करने को कहते हैं। वैदिक जीवन में मनà¥à¤·à¥à¤¯ को अनिवारà¥à¤¯ रूप से ईशà¥à¤µà¤°à¥‹à¤ªà¤¾à¤¸à¤¨à¤¾, ईशà¥à¤µà¤° का धà¥à¤¯à¤¾à¤¨, चिनà¥à¤¤à¤¨, मनन, अधà¥à¤¯à¤¯à¤¨ वा सà¥à¤µà¤¾à¤§à¥à¤¯à¤¾à¤¯, ऋषियों व विदà¥à¤µà¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ की संगति व उनकी सेवा सतà¥à¤•à¤¾à¤°, पà¥à¤°à¤¾à¤£à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ के पà¥à¤°à¤¤à¤¿ अंहिसा व हित की कामना, सà¥à¤µà¤¯à¤‚ व दूसरों के जीवन का सà¥à¤§à¤¾à¤° व उनà¥à¤¨à¤¤à¤¿, समाज को संगठित करना व उसका उचà¥à¤š आदरà¥à¤¶à¥‹à¤‚ के अनà¥à¤°à¥‚प निरà¥à¤®à¤¾à¤£ सहित परोपकार व दूसरों की सेवा के संसà¥à¤•à¤¾à¤° वा सà¥à¤µà¤à¤¾à¤µ की पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤à¤¿ होती है। वेद ईशà¥à¤µà¤° पà¥à¤°à¤¦à¤¤à¥à¤¤ जà¥à¤žà¤¾à¤¨ है जो मनà¥à¤·à¥à¤¯à¥‹à¤‚ को सृषà¥à¤Ÿà¤¿ के आरमà¥à¤ में ईशà¥à¤µà¤° से अगà¥à¤¨à¤¿, वायà¥, आदितà¥à¤¯ व अंगिरा ऋषियों को पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ हà¥à¤†, ततà¥à¤ªà¤¶à¥à¤šà¤¾à¤¤ उनसे बà¥à¤°à¤¹à¥à¤®à¤¾ जी को पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ हà¥à¤† और उनके दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ आदि सृषà¥à¤Ÿà¤¿ के सà¥à¤¤à¥à¤°à¥€-पà¥à¤°à¥‚षों सहित काल-कà¥à¤°à¤® के अनà¥à¤¸à¤¾à¤° संसार à¤à¤° में पà¥à¤°à¤µà¥ƒà¤¤à¥à¤¤ हà¥à¤† था। वेद की सà¤à¥€ शिकà¥à¤·à¤¾à¤¯à¥‡à¤‚ अजà¥à¤žà¤¾à¤¨ से सरà¥à¤µà¤¥à¤¾ रहित व मानव जीवन सहित सà¤à¥€ पà¥à¤°à¤¾à¤£à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ की हितकारी है। यह मत-पनà¥à¤¥-मजहब-समà¥à¤ªà¥à¤°à¤¦à¤¾à¤¯ आदि से कहीं ऊपर व सरà¥à¤šà¥‹à¤šà¥à¤š हैं। वेदों व वैदिक धरà¥à¤® में सà¥à¤–-सà¥à¤µà¤¿à¤§à¤¾-विलासिता के à¤à¥Œà¤¤à¤¿à¤• साधनों का नà¥à¤¯à¥‚नतम पà¥à¤°à¤¯à¥‹à¤— करते हà¥à¤ à¤à¥‹à¤—ों से दूर रहकर तà¥à¤¯à¤¾à¤— पूरà¥à¤£ जीवन वà¥à¤¯à¤¤à¥€à¤¤ करने का विधान है। शारीरिक उनà¥à¤¨à¤¤à¤¿ व आतà¥à¤®à¤¿à¤• उनà¥à¤¨à¤¤à¤¿ पर वैदिक धरà¥à¤® में सरà¥à¤µà¤¾à¤§à¤¿à¤• धà¥à¤¯à¤¾à¤¨ दिया जाता है। वेदों के आधार पर उपनिषदों व दरà¥à¤¶à¤¨à¥‹à¤‚ में ऋषियों ने जो जà¥à¤žà¤¾à¤¨ दिया है वह संसार à¤à¤° के साहितà¥à¤¯ में अनà¥à¤¯à¤¤à¥à¤° दà¥à¤°à¥à¤²à¤ है। इन सबका सेवन, आचरण व अà¤à¥à¤¯à¤¾à¤¸ करते हà¥à¤ वायà¥, जल व परà¥à¤¯à¤¾à¤µà¤°à¤£ की शà¥à¤¦à¥à¤§à¤¿ के लिये पà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤¸ करने की पà¥à¤°à¥‡à¤°à¤£à¤¾ की गई है, तà¤à¥€ मनà¥à¤·à¥à¤¯ अपने जीवन के लकà¥à¤·à¥à¤¯à¥‹à¤‚ को पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ कर सकेगा अनà¥à¤¯à¤¥à¤¾ नहीं। वैचारिक व सतà¥à¤¯-असतà¥à¤¯ के विवेचन के आधार पर चिनà¥à¤¤à¤¨ करने पर à¤à¥€ यह विचारधारा पà¥à¤°à¤¾à¤£à¤¿à¤®à¤¾à¤¤à¥à¤° के हित को समà¥à¤ªà¤¾à¤¦à¤¿à¤¤ करने में सहायक व सतà¥à¤¯ सिदà¥à¤§ होती है। इसी कारण से हमारे पà¥à¤°à¤¾à¤šà¥€à¤¨ ऋषि व पूरà¥à¤µà¤œ वैदिक धरà¥à¤® का न केवल सà¥à¤µà¤¯à¤‚ पालन करते थे अपितॠसमाज के सà¤à¥€ लोग उनसे उपदेश पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ कर उनकी आजà¥à¤žà¤¾à¤“ं के अनà¥à¤¸à¤¾à¤° ही अपना तà¥à¤¯à¤¾à¤—पूरà¥à¤£ जीवन वà¥à¤¯à¤¤à¥€à¤¤ करते थे। वैदिक धरà¥à¤® मनà¥à¤·à¥à¤¯ के जीवन को अनà¥à¤¶à¤¾à¤¸à¤¿à¤¤ कर उनà¥à¤¨à¤¤à¤¿ करते हà¥à¤ जीवन के उदà¥à¤¦à¥‡à¤¶à¥à¤¯ धरà¥à¤®-अरà¥à¤¥-काम-मोकà¥à¤· तक ले जाता है। दूसरी ओर उनà¥à¤®à¥à¤•à¥à¤¤ वा अनà¥à¤¶à¤¾à¤¸à¤¨ रहित जीवन आरà¥à¤¥à¤¿à¤• सà¥à¤–-समृदà¥à¤§à¤¿ à¤à¤²à¥‡ ही पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ कराये, परनà¥à¤¤à¥ यह मनà¥à¤·à¥à¤¯ को रोगी व अलà¥à¤ªà¤¾à¤¯à¥ बनाकर, उसे जीवन के उदà¥à¤¦à¥‡à¤¶à¥à¤¯ व लकà¥à¤·à¥à¤¯ से दूर कर जनà¥à¤®-जनà¥à¤®à¤¾à¤¨à¥à¤¤à¤°à¥‹à¤‚ में दà¥à¤ƒà¤– व कषà¥à¤Ÿà¥‹à¤‚ का कारण सिदà¥à¤§ होता है।
विजà¥à¤žà¤¾à¤¨ के लाठव हानि को जानने का पà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤¸ सà¤à¥€ मनà¥à¤·à¥à¤¯à¥‹à¤‚ को करना आवशà¥à¤¯à¤• है। विजà¥à¤žà¤¾à¤¨ के साधनों का उसी सीमा तक उपयोग उचित है जहां तक की उससे हमारा धरà¥à¤®, अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤à¥ वरà¥à¤¤à¤®à¤¾à¤¨ व à¤à¤¾à¤µà¥€ सà¥à¤–, कà¥à¤ªà¥à¤°à¤à¤¾à¤µà¤¿à¤¤ न हों। वायà¥-जल-अनà¥à¤¨ के पà¥à¤°à¤¦à¥à¤·à¤£ के सà¤à¥€ कारको को दूर कर पà¥à¤°à¤¦à¥à¤·à¤£ निवारण के उपाय करने का पà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤¸ होना चाहिये। यदि विजà¥à¤žà¤¾à¤¨ इनका समाधान पà¥à¤°à¤¸à¥à¤¤à¥à¤¤ नहीं करता तो फिर निशà¥à¤šà¤¯ ही पà¥à¤°à¤¦à¥à¤·à¤£à¤•à¤¾à¤°à¤• साधनों व उतà¥à¤ªà¤¾à¤¦à¥‹à¤‚ को छोड़ना व इनका उपयोग नियंतà¥à¤°à¤¿à¤¤ करना आवशà¥à¤¯à¤• है। यातायात के साधन, वाहन, उदà¥à¤¯à¥‹à¤— तथा सीमेंट-कंकà¥à¤°à¥€à¤Ÿ के बड़े बड़े à¤à¤µà¤¨ आदि वायà¥-जल-अनà¥à¤¨ व परà¥à¤¯à¤¾à¤µà¤°à¤£ पà¥à¤°à¤¦à¥à¤·à¤£ के पà¥à¤°à¤®à¥à¤– कारक हैं। निशà¥à¤šà¤¯ ही यह आज हमारे जीवन में à¤à¤¸à¥‡ पà¥à¤°à¤µà¤¿à¤·à¥à¤Ÿ हो गये हैं कि इनके बिना जीवन वà¥à¤¯à¤¤à¥€à¤¤ करने की कलà¥à¤ªà¤¨à¤¾ à¤à¥€ नहीं की जा सकती। इस पर à¤à¥€ जिस पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° विष-मिशà¥à¤°à¤¿à¤¤ सà¥à¤µà¤¾à¤¦à¤¿à¤·à¥à¤Ÿ à¤à¥‹à¤œà¤¨ का तà¥à¤¯à¤¾à¤— करना ही शà¥à¤°à¥‡à¤¯à¤¸à¥à¤•à¤° होता है वैसी ही यहां à¤à¥€ सà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿ है। सतà¥à¤¯ वैदिक धरà¥à¤® को यदि संसार अपना ले और उसके अनà¥à¤¸à¤¾à¤° सà¤à¥€ मनà¥à¤·à¥à¤¯ ईशà¥à¤µà¤°à¥‹à¤ªà¤¾à¤¸à¤¨à¤¾, यजà¥à¤ž-अगà¥à¤¨à¤¿à¤¹à¥‹à¤¤à¥à¤°, योग, धà¥à¤¯à¤¾à¤¨, सà¥à¤µà¤¾à¤§à¥à¤¯à¤¾à¤¯, सेवा, परोपकार, तà¥à¤¯à¤¾à¤—, पà¥à¤°à¤¾à¤£à¤¿à¤¹à¤¿à¤¤, अंहिसातà¥à¤®à¤• वà¥à¤¯à¤µà¤¹à¤¾à¤°, सà¥à¤µà¤¾à¤°à¥à¤¥ व लोठपर नियंतà¥à¤°à¤£, अपरिगà¥à¤°à¤¹ आदि का सेवन करें तà¤à¥€ परà¥à¤¯à¤¾à¤µà¤°à¤£ बच सकेगा। वैदिक धरà¥à¤® में पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤¦à¤¿à¤¨ पà¥à¤°à¤¾à¤¤à¤ƒ व सायं यजà¥à¤ž करने का जो विधान है वह अनेक लाà¤à¥‹à¤‚ सहित वायà¥, जल व अनà¥à¤¨ के पà¥à¤°à¤¦à¥à¤·à¤£ को दूर करने के लिठहोता है। इस जà¥à¤žà¤¾à¤¨ व विजà¥à¤žà¤¾à¤¨ को विकसित कर पà¥à¤°à¤¦à¥à¤·à¤£ निवारण में इसका à¤à¥€ उपयोग किया जा सकता है। सरकार व वैजà¥à¤žà¤¾à¤¨à¤¿à¤•à¥‹à¤‚ इस ओर धà¥à¤¯à¤¾à¤¨ देना है। वैदिक धरà¥à¤® का जà¥à¤žà¤¾à¤¨ व उसका सà¤à¥€ मनà¥à¤·à¥à¤¯à¥‹à¤‚ दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ आचरण आज संसार में सरà¥à¤µà¤¾à¤§à¤¿à¤• महतà¥à¤µà¤ªà¥‚रà¥à¤£ व पà¥à¤°à¤¾à¤¸à¤‚गिक होने के कारण आवशà¥à¤¯à¤• व अनिवारà¥à¤¯ पà¥à¤°à¤¤à¥€à¤¤ हो रहा कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि इसके दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ ही हम विशà¥à¤µ को सà¤à¥€ पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° के पà¥à¤°à¤¦à¥à¤·à¤£à¥‹à¤‚, अनà¥à¤¯à¤¾à¤¯, शोषणों व अशानà¥à¤¤à¤¿ से बचा सकते हैं।
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